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Waterproofing methods, Modern kitchen designs, Vaastu tips for home, Home Construction cost
अल्ट्राटेक के पास ग्रे सीमेंट की 135.55 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की समेकित क्षमता है। अल्ट्राटेक के पास 22 एकीकृत विनिर्माण इकाइयाँ (मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स), 27 ग्राइंडिंग इकाइयाँ, एक क्लिंकराइज़ेशन इकाई और 7 बल्क पैकेजिंग टर्मिनल हैं। अल्ट्राटेक के पास देश भर में एक लाख से अधिक चैनल पार्टनर्स का नेटवर्क है और पूरे भारत में इसकी 80% से अधिक मार्केट तक पहूँच (market reach) है। व्हाइट सीमेंट सेगमेंट में अल्ट्राटेक बिड़ला व्हाइट के ब्रांड नाम से बाजार में उतरती है। इसका एक व्हाइट सीमेंट यूनिट और एक वॉल केयर पुट्टी यूनिट है, जिसकी वर्तमान क्षमता 1.5 एमटीपीए है। अल्ट्राटेक के पूरे भारत के 100+ शहरों में 230+ से अधिक रेडी मिक्स कंक्रीट (आरएमसी) प्लांट हैं। इसमें कई विशिष्ट कंक्रीट भी हैं जो समझदार ग्राहकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। हमारा बिल्डिंग प्रोडक्ट्स बिजनेस एक इनोवेशन हब है, जो नए जमाने के निर्माणों को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक रूप से इंजीनियर्ड प्रोडक्ट्स की एक श्रृंखला प्रदान करता है।
अल्ट्राटेक की बात करें, तो यह ग्लोबल सीमेंट एंड कंक्रीट एसोसिएशन (जीसीसीए) का संस्थापक सदस्य है। यह जीसीसीए क्लाइमेट एम्बिशन 2050 का एक सिग्नटरी है, जो 2050 तक कार्बन न्यूट्रल कंक्रीट देने के लिए एक क्षेत्रीय (सेक्टोरल) आकांक्षा है। कंपनी जी.सी.सी.ए. (GCCA) द्वारा घोषित नेट ज़ीरो कंक्रीट रोडमैप के लिए भी प्रतिबद्ध है, जिसमें 2030 तक CO2 उत्सर्जन में एक चौथाई कटौती करने जैसी अति महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता शामिल है।अल्ट्राटेक ने अपनी वैल्यू चेन में निम्न कार्बन टेक्नोलॉजी और प्रक्रियाओं को अपनाने में तेजी लाने के अपने प्रयासों के हिस्से के रूप में विज्ञान आधारित लक्ष्य पहल (एसबीटीआई), आंतरिक कार्बन मूल्य और ऊर्जा उत्पादकता (#EP100) जैसे नए युग के उपकरणों को अपनाया है और इस प्रकार कार्बन फुटप्रिंट को जीवन चक्र में कम किया है।
अल्ट्राटेक भारत की ऐसी पहली कंपनी है और एशिया की ऐसी दूसरी कंपनी है जिसने डॉलर-आधारित स्थिरता से जुड़े बांड जारी किए हैं। अपने सीएसआर के हिस्से के रूप में, अल्ट्राटेक शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्थायी आजीविका, सामुदायिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक कारणों के क्षेत्रों को कवर करते हुए भारत भर के 500 से अधिक गांवों में लगभग 1.6 मिलियन लाभार्थियों तक अपनी पहुंच बनाती है।
हितधारकों को इन चार आधारों पर बेहतर गुणवत्ता प्रदान करना